शंख साधना करें घर को वास्तु दोष से मुक्त रखें शाम ढींगरा समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में से शंख भी एक रत्न है। विष्णु पुराण तथा अन्य प्राचीन गं्रथों के अनुसार धन की देवी लक्ष्मी को समुद्र की पुत्री और शंख उनका सहोदर भ्राता है। इसलिए ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शंख स्थापना होती है, वहां लक्ष्मी का वास होता है। शंख को धन संपत्ति प्रदाता माना जाता है। यह एक धार्मिक मंगल चिह्न के रूप में मंदिरों व घरों के पूजा स्थल में रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शंख की स्थापना से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा की उत्पŸिा होती है। हिंदू धर्म संस्कृति में हर मंगल कार्य और धार्मिक त्योहार के शुभ अवसर पर शंखनाद करने की प्रथा है। शंख मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं -दक्षिणावर्ती, मध्यावर्ती और वामावर्ती। इनमें दक्षिणावर्ती शंख दाईं तरफ से खुलता है, मध्यावर्ती बीच से और वामावर्ती बाईं तरफ से खुलता है। मध्यावर्ती शंख अत्यंत दुर्लभ है। शास्त्रों में इसे अति चमत्कारिक बताया गया है। उक्त इन तीन प्रकार के शंखों के अलावा और भी अनेक प्रकार के शंख पाए जाते हैं जैसे लक्ष्मी शंख, गरुड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, गोमुखी शंख, देव शंख, राक्षस शंख, विष्णु शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, शनि शंख, राहु एवं केतु शंख। महाभारत के युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण ने पांच जन्य, अर्जुन ने देवदŸा, महाबली भीम ने पौंड्र, धर्मराज युधिष्ठर ने अनंत विजय, नकुल ने सुघोष और सहदेव ने मणिपुष्पक शंख का नाद किया था। शास्त्र में भी शंख को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। शंख की स्थापना से टोना टोटकों, बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जा से घर की रक्षा होती है। इसका नियमित रूप से नाद करने पर घर में फैली नकारातमक शक्तियां दूर हो जाती हैं। घर में पूजा-स्थल पर पूजा की चैकी पर शंख की स्थापना की जाती है। शुद्ध एवं पवित्र शंख को महाशिवरात्रि, होली, दीपावली, नवरात्रि आदि शुभ एवं पावन अवसरों पर अथवा रवि पुष्य व गुरु पुष्य नक्षत्रों के शुभ मुहूर्त में लाल वस्त्र के आसन पर इसकी विधिवत स्थापना से अच्छे फल प्राप्त होते हैं और घर हर प्रकार के वास्तुदोष से सुरक्षित रहता है। स्थापना के पश्चात इसका धूप, अगरबŸाी और दीपक से नियमित रूप से पूजन करना चाहिए। इसमें लाल गाय का दूध भरकर घर में छिड़काव करने से वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं। पूजा करने के पश्चात इसमें गाय का दूध व गंगाजल भरकर पीने से असाध्य रोग व मानसिक दुर्बलता से मुक्ति मिलती है व मन स्थ्रि होता है। शंखनाद का मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व है। इसे बजाने से श्वासरोग, हृदय रोग, दमा आदि में आराम मिलता है। पता: एन-65, कीर्ति नगर, दिल्ली गीता के इसका वर्णन इस प्रकार किया गया है। पांचजन्यं हृषीकेशो देवदŸां धनंजय। पांैडंª दहमों महाशंख भीमकर्मावृकोदर।। अनंतविजय राज कुन्ती पुत्रो युधिष्ठिर। नकुल सहदेव सुघोष मणिपुष्पकों। शंख की साधना से शत्रु पर विजय, सुख समृद्धि, धन संपत्ति और मान -सम्मान की प्राप्ति होती है। यज्ञ और वैदिक अनुष्ठानों एवं तांत्रिक क्रियाओं में शंखों के प्रयोग का विशेष महत्व है। हर व्यक्ति अपने घर को वास्तु दोषों से सुरक्षित रखना चाहता है। इसके लिए वह हर तरह के उपाय करता है। शंख की साधना-उपासना से घर की इन दोषों से रक्षा होती है, इसीलिए वास्तु शास्त्र में भी शंख को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। शंख की स्थापना से टोना टोटकों, बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जा से घर की रक्षा होती है। इसका नियमित रूप से नाद करने पर घर में फैली नकारातमक शक्तियां दूर हो जाती हैं। घर में पूजा-स्थल पर पूजा की चैकी पर शंख की स्थापना की जाती है। शुद्ध एवं पवित्र शंख को महाशिवरात्रि, होली, दीपावली, नवरात्रि आदि शुभ एवं पावन अवसरों पर अथवा रवि पुष्य व गुरु पुष्य नक्षत्रों के शुभ मुहूर्त में लाल वस्त्र के आसन पर इसकी विधिवत स्थापना से अच्छे फल प्राप्त होते हैं और घर हर प्रकार के वास्तुदोष से सुरक्षित रहता है। स्थापना के पश्चात इसका धूप, अगरबŸाी और दीपक से नियमित रूप से पूजन करना चाहिए। इसमें लाल गाय का दूध भरकर घर में छिड़काव करने से वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं। पूजा करने के पश्चात इसमें गाय का दूध व गंगाजल भरकर पीने से असाध्य रोग व मानसिक दुर्बलता से मुक्ति मिलती है व मन स्थ्रि होता है। शंखनाद का मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व है। इसे बजाने से श्वासरोग, हृदय रोग, दमा आदि में आराम मिलता है।