पहले ग्वालियर में गोपीनाथ जी के घर का वास्तु परीक्षण किया गया। गोपीनाथ जी का कहना था कि दो साल पूर्व उन्होंने घर का पुनर्निर्माण करवाया था, तभी से कई प्रकार की परेशानियां आने लगीं। व्यापार में काफी गिरावट आ गई, आर्थिक एवं मानसिक परेशानियां बढ़ने लगीं, घर में गृहिणी का स्वास्थ्य खराब रहने लगा, बच्चों का विकास रुक सा गया और आय के अवसर बनते बनते रुकने लगे।
इन सभी समस्याओं के मद्देनजर घर का परीक्षण किया गया। परीक्षण करते समय कई वास्तु दोष सामने आए। भूतल पर उत्तर में रसोई थी जो एक गंभीर वास्तु दोष है। उत्तर में रसोई होने से पैसों का अपव्यय तथा आपस में मतभेद होता है। घर में जितना रुपया आता है उससे कहीं ज्यादा खर्च हो जाता है। रसोईघर और शौचालय एक दूसरे के साथ होने से मानसिक समस्याएं अत्यधिक बढ़ जाती हैं तथा गृहिणी को बीमारियां घेर सकती हैं।
गोपीनाथ जी के घर में पूजा स्थान भी उत्तर पश्चिम में दो शौचालयों के बीच था और देवी देवताओं की मूर्तियां शौचालय की दीवार पर स्थित थीं। इस दोष के कारण मानसिक तनाव एवं एकाग्रता में कमी रहती है। उनके घर का पूर्व का कोना कटा हुआ था जिससे घर के सदस्यों की उन्नति मंे रुकावट आती है। इसके फलस्वरूप स्वास्थ्य तथा धन हानि एवं कानूनी समस्या भी हो सकती ळें उनके दक्षिण पश्चिम कमरे का दरवाजा भी टेढ़ा था एवं पलंग भी कोने में स्थित था।
इस दोष के फलस्वरूप सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में रुकावट आती है और कमरे में रहने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। प्रथम तल पर शौचालय के पूजा स्थल के ऊपर होने के कारण घर में नकारात्मक ऊर्जा अत्यध् िाक बढ़ गई थी और कलह होने लगा था। भूतल पर रसोईघर दक्षिण पूर्व में और मुख्य दरवाजे को पूर्व की ओर करवाया गया। उत्तर पूर्व में ड्राइंग रूम करवाया गया।
दक्षिण पश्चिम के कमरे का दरवाजा सीधा करवाकर पंलग को बीच में स्थित करवाया गया। पूजा स्थल उत्तर पश्चिम के कोने में बनवाया गया और मूर्तियों को उत्तर पूर्व के कोने में स्थापित किया गया।
प्रथम तल पर पूजा स्थल के ऊपर बने शौचालय को पश्चिम में करवाया गया, उत्तर पश्चिम के कोने की ऊंचाई दोगुनी करके उसके ऊपर मंडप डलवाया गया जिससे पूजा स्थल के ऊपर कोई जा न सके। प्रथम तल के उत्तर पूर्व में बने कमरे के दरवाजे को भी सीधा करवाया गया।
ये सभी उपाय करने के पश्चात गोपीनाथ जी के घर में सुख-शांति का माहौल बना, आय में वृद्धि और परिवार के लोगों के स्वास्थ्य में सुध् ाार होने लगा एवं सब प्रकार से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हुआ।
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