ब्रह्मस्थान में दोष-परिवार में असंतोष पं. गोपाल शर्मा (बी.ई.) कुछ समय पहले पंडित जी को हिसार में एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी श्री पुरुषोतम जी ने अपने घर पर वास्तु निरीक्षण के लिये बुलाया। वहां जाने पर पता चला कि व्यवसायी की पत्नी का सन् 2006 में छोटी आंत का आप्रेशन हुआ था जो प्राणघातक हो सकता था। ऐसा टाईफाइड समय पर डाइग्नोसिस न होने के कारण हुआ। जुलाई 2006 से दिसंबर 2006 तक परिवार में सबको टाईफाईड हुआ लेकिन शुरु में पता नहीं चला। पुरुषोतम जी ने बताया कि यह घर उनकी पत्नी के नाम है। घर में पैसों की बरकत नहीं होती। कमाई का ज्यादा हिस्सा बीमारियों पर खर्च हो जाता है और घर में कोई न कोई हमेशा बीमार रहता है तथा घर में हर समय क्लेश बना रहता है। बच्चे मनमानी करने लगे हैं तथा इनकी पढ़ाई में भी परेशानी आती है। मैं स्वयं हमेशा बीमार रहता हूं। कोई पुत्र संतान नहीं है। पूरे परिवार का विकास रुक सा गया है। वास्तु परीक्षण करने पर पाए गए वास्तु दोष: दक्षिण-पश्चिम में भूमिगत जल स्रोत था जो कि गंभीर वास्तु दोष है। परिवार के मुख्य सदस्य मालिक के लिए घातक हो सकता है। घर में अनचाहे खर्चे बने रहते हैं। ब्रह्मस्थान में रसोईघर बना था जो कि आर्थिक व स्वास्थ्य हानि का मुख्य कारण था। केन्द्र का दोष पेट के आप्ररेशन तक करवा देता है। पूर्व में सीढियां बनी थी जो कि बच्चों के विकास में अवरोधक होती ह ंै तथा परिवार म ंे छाती संबंधी रोग होने की संभावना रहती है। प्लाट के उत्तर-पूर्व का कोना बंद था जो कि सभी ओर से विकास में बाधक एवं घर में आर्थिक हानि व मानसिक तनाव का मुख्य कारण है। सुझाव दक्षिण पश्चिम में बने अन्डरग्राउन्ड टैंक को तुरंत बंद करके गड्ढा भरने को कहा गया। उससे पहले उत्तर-पूर्व में बोरिंग कराने की सलाह दी गई। ब्रह्मस्थान से रसेाईघर हटाने को कहा गया तथा रसोई को दक्षिण-पूर्व में बरामदे की जगह बनाने को कहा गया। पूर्व में बनी सीढ़ियों को हटाकर उसे दक्षिण-पश्चिम में खुली सीढ़ियों के रुप में बनाने को कहा गया। उत्तर-पूर्व के कोने को तुरंत खोलने को कहा गया तथा मंदिर को पूर्व में सीढ़ियों की जगह स्थानांतरित करने की सलाह दी गई। पंडित जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि सभी सुझावों को कार्यान्वित करने के पश्चात उन्हें अवश्य ही लाभ मिलेगा।