वायव्य में बोरिंग व अनियमित आकार अनवरत मुकदमेबाजी का आधार
वायव्य में बोरिंग व अनियमित आकार अनवरत मुकदमेबाजी का आधार

वायव्य में बोरिंग व अनियमित आकार अनवरत मुकदमेबाजी का आधार  

गोपाल शर्मा
व्यूस : 4656 | मई 2010

कुछ दिनों पहले पंजाब के अमृतसर जिले के भिरवीपिंड नामक गांव में भारतीय जासूस होने के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद श्री सर्वजीत सिंह के घर का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान श्री सिंह की बहन दलजीत कौर ने बताया कि इस निरीक्षण के पहले एक प्रसिद्ध वास्तु विशेषज्ञ ने उनके घर को, जो कि उत्तर-पूर्व, पूर्व में बना था, वास्तु के प्रतिकूल बताकर, तुड़वा दिया और दक्षिण-पश्चिम की ओर नया घर बनवाने को कहा। उन्होंने प्लाॅट के उत्तर पूर्व में सड़क के टी-पाॅइंट (ज् च्वपदजद्ध के सामने के हिस्से को प्लाॅट से अलग करने को कहा। फिर वह चले गए और आश्वासन पर आश्वासन देने के बावजूद सिंह परिवार के संपर्क में नहीं आए। निरीक्षण के दौरान निम्नलिखित वास्तु दोष पाए गए।

- मकान का उत्तर-पश्चिम का हिस्सा बढ़ा हुआ था। इस दोष के कारण गृह स्वामी बदनामी व मुकदमेबाजी का शिकार होता है।

- उत्तर-पश्चिम में बोरिंग थी। बोरिंग का इस भाग में होना दुश्मनी और मुकदमेबाजी का कारक एवं घर की बेटियों के लिए हानिककारक होता है।

- उत्तर-पूर्व में घर बना था और अन्य सभी दिशाओं में खुलापन था। यह दोष विभिन्न बाधाओं का कारक होता है। परामर्श और उपाय

- दक्षिण-पश्चिम में 4श् ग् 4श् ग् 3श् का एक पिरामिड व दक्षिण में 18ष् ग् 18ष् ग् 18ष्ग्10श् का पिरामिड बनवाया गया। दक्षिण के पिरामिड में 111 रत्ती का मूंगा भी लगाया गया। बड़े पिरामिड को पीला पेंट किया गया तथा छोटे को लाल ईंटों से बनवाया गया। परिणाम शीघ्र ही सामने आए और 19 वर्ष बाद पाकिस्तान उच्च न्यायालय ने सर्वजीत के वकील को 15 दिन के अंतराल पर मिलने की अनुमति दी।

- दक्षिण पश्चिम के कोने में पत्थर का एक लोहारहित पिरामिड बनवाया गया, ताकि प्लाॅट में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सके।

- पश्चिम एवं दक्षिण में दीवार बनवाई गई ताकि उत्तर-पश्चिम के बढे़ होने एवं दक्षिण के ज्यादा खुलेपन का दोष कम हो सके।

- उत्तर-पश्चिम में बनी बोरिंग को बंद करवाकर उसे उत्तर-पूर्व में कराया गया।

- उत्तर-पूर्व में बनी किंतु टूट चुकी इमारत को दक्षिण-पश्चिम की ओर पिरामिड से हटाकर बनवाने को कहा गया।

- उत्तर-पूर्व के टी-पाॅइंट (ज् च्वपदज) के सामने वाले प्लाॅट से अलग किए गए हिस्से को प्लाॅट से जोड़ने की सलाह दी गई। किंतु बाद में इस निरीक्षण के पूर्व आए उन्हीं वास्तु शास्त्री ने दबाव डालकर नए डिजाइन को न अपनाकर दूसरा मकान बनवाया, जिसके नीचे दक्षिण-पश्चिम व दक्षिणी भाग में निर्मित पिरामिड के दब जाने से स्थिति यथावत रह गई। दक्षिण-पश्चिम की इस नई गलती को ठीक कर लिया जाए, तो संभव है कि सर्वजीत बहुत जल्दी ही अपने परिवार में वापस लौट आएं।

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