‘मुखाकृति विज्ञान’ के जानकारों ने मुखमंडल के विभिन्न भागों पर स्थित तिलों के शुभाशुभ फल विवेचन को बहुत अधिक महत्व दिया है। स्त्रियों के वामांग तथा पुरुषों के दक्षिणांग में रक्त या तिल सदृश चिह्न या रोमावर्त को विद्वानों के द्वारा शुभ फल प्रदाता कहा गया है।
Û सिर के बाएं भाग में स्थित तिल आजीवन अशुभ फल देता रहता है। उदाहरणार्थ, वह नाना प्रकार की समस्याओं से घिरा ही रहता है और अस्थिर चित्त होने के कारण सर्वत्र दुख पाता है।
Û दूसरी ओर, सिर के दाएं भाग में स्थित तिल शुभ फल देता है। निश्चय ही, वह व्यक्ति को सर्वत्र सम्मान दिलाता है।
Û सिर के ऊपरी भाग (खोपड़ी) पर पाया जाने वाला तिल व्यक्ति को आर्थिक संपन्नता और संतोष प्रदान करता है।
Û भ्रूमध्य स्थित तिल व्यक्ति को परोपकारी धर्मपरायण, उदार एवं दीर्घायु बनाता है।
Û दाएं कान के ऊपर तिल व्यक्ति को निश्छल और प्रगतिशील बनाता है जबकि बाएं कान के ऊपर स्थित तिल काया को दुर्बल बनाता है।
Û कंठ भाग पर स्थित तिल व्यक्ति को स्वावलंबी, कुशाग्र बुद्धि तथा धनी बनाता है।
Û ठुड्डी पर दिखने वाला तिल व्यक्ति को स्वार्थी, स्व-केंद्रित और समाज के प्रति उदासीन बना देता है।
Û यदि बाएं कनपट्टी क्षेत्र में तिल हो, तो व्यक्ति सदैव क्लेशग्रस्त होता है।
Û निचले होंठ पर स्थित तिल व्यक्ति को निर्धन और अभावग्रस्त बनाता है। दूसरी ओर, ऊपरी होंठ पर स्थित तिल-चिह्न हो, तो व्यक्ति भोग-विलासी, सेक्सी, रोमांस प्रेमी, स्त्री- आसक्तियुक्त तथा प्रणय आदि से लिप्त रहता है।
Û नाक के दाएं भाग पर स्थित तिल, व्यक्ति को संपन्न, भाग्यवान, सभी मनोरथ की पूर्ति करने वाला बनाता है। बाईं नाक के ऊपर का तिल व्यक्ति को बहुत अधिक श्रम के पश्चात् धन प्राप्त कराता है।
Û नेत्र के ऊपर-नीचे तिल रखने वाला जातक भाग्यवान माना जाता है।