बिहार में पंद्रहवें विधानसभा चुनाव सन् 2010 में 21 अक्तूबर से 20 नवंबर के मध्य 6 चरणों में संपन्न होंगे। पिछली बार श्री नितीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और रा.ज.ग. ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर 24 नवंबर 2005 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भारी जन सैलाब के मध्य श्री नितीश कुमार ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। क्या इस बार नवंबर 2010 में श्री नितीश कुमार पुनः मुख्यमंत्री बन पाएंगे? श्री नितीश कुमार जी का जन्म 1 मार्च सन् 1951 को ज्येष्ठा नक्षत्र के मिथुन लग्न और धनु के नवमांश में लगभग 12.45 अपराह्न में हुआ था।
श्री नितीश कुमार जी की कुंडली में दशम भाव में बृहस्पति गोचर कर रहा है। बृहस्पति बिहार के चुनाव के कार्यकाल में बड़ा ही गंभीर खेल करेगा। पहला तो यह कि बृहस्पति 18 नवंबर तक वक्री रहेगा अर्थात लगभग पूरे चुनाव के कार्यकाल में यह वक्री रहेगा उसमें भी एक नवंबर 2010 से यह अपनी स्वराशि मीन में वक्री गति से गोचर करता हुआ राशि परिवर्तन करके कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएगा। अब चूंकि बृहस्पति इनकी कुंडली में दशमेश है। अतः इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि 21 अक्तूबर से 1 नवंबर तक बिहार राज्य की जिन सीटों पर चुनाव होगा वहां पर श्री नितीश कुमार जी की पार्टी आशा के अनुरुप प्रदर्शन करने में सफल रहेगी तथा 1 नवंबर से 20 नवंबर तक गुरु का विचरण कुंभ राशि में होने से अर्थात दशमेश का अपने से बारहवें होने से कहीं न कहीं इनकी पार्टी अर्थात जनता दल (यूनाइटेड) के प्रदर्शन में कमी आएगी। लेकिन इसी तथ्य का एक विचित्र पहलू भी है।
वह यह है कि सहयोगियों के लिए या पार्टनर के लिए ज्योतिष में सप्तम् भाव को देखते हैं सप्तम् भाव में वर्तमान समय में राहु का गोचर है तथा लग्न में केतु गोचर कर रहा है। नितीश कुमार की जन्म कुंडली में भाग्य स्थान पर राहु बैठा है तथा इनके सहयोगी के भाग्य स्थान पर (तृतीय भाव अर्थात सप्तम से नवम) में केतु बैठा है। कहने का तात्पर्य यह है कि जन्मकालिक भाग्य भाव में बैठा राहु सहयोगी अर्थात सप्तम भाव में गोचर कर रहा है और सहयोगी के भाग्य भाव में बैठा केतु लग्न में गोचर कर रहा है यह गोचरीय स्थिति यह संकेत दे रही है कि इस समय श्री नितीश कुमार जी को अपने सहयोगी मित्रों के साथ बनाकर चलने से ही लाभ मिलेगा।
अगर किसी भी दशा में वह अपने सहयोगियों से बिगाड़ते हैं या अपनी हठधर्मिता में बने रहेंगे तो उनको नुकसान उठाना पड़ सकता है। शासन और सत्ता का कारक ग्रह सूर्य भी इनकी कुंडली में तृतीयेश है और भाग्य भाव में बैठा है। वह लगभग पूरे चुनावी चरण में अर्थात 16 नवंबर तक तुला राशि में गोचर करेंगे, अर्थात नवम् भाव में बैठा सूर्य अपने से नवम् भाव में गोचर करेगा केवल अंतिम चार दिन सूर्य के वृश्चिक राशि में जाने से स्थितियां इनके विपरीत हो सकती है। श्री नितीश कुमार जी की वर्तमान में मंगल महादशा में चंद्र की अंतर्दशा चल रही है। चंद्रमा द्वितीय भाव का स्वामी है। शासन और सत्ता के लिए प्रजा को भी देखना जरूरी होता है ज्योतिष में प्रजा का भाव चतुर्थ होता है।
महादशानाथ मंगल लाभ भाव और छठे भाव का स्वामी है तथा चतुर्थ भाव को देख रहा है। चतुर्थ से लाभ भाव (प्रजा से लाभ) का स्वामी चंद्रमा मंगल की राशि अर्थात छठे भाव में बैठा है। जन्मकालीन चंद्रमा भी ज्येष्ठा नक्षत्र अर्थात बुध यानि लग्नेश के नक्षत्र में है। जन्मकुंडली की यह ग्रह स्थिति तथा महादशा अंतर्दशानाथ की स्थिति श्री नितीश कुमार को जनता से लाभ का संकेत दे रही है तथा चंद्रमा लग्नेश के नक्षत्र में होने के कारण जनता इन पर विश्वास भी करेगी। गोचर का एक प्रमुख ग्रह शनि जन्मकालीन कन्या राशि में है तथा वे गोचर में भी कन्या राशि में तथा चंद्रमा के नक्षत्र में विचरण करेगा। जन्मकालीन चंद्रमा नीच राशि व छठे भाव में स्थित है।
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि वर्तमान चुनाव में श्री नितीश कुमार जी को अपने सहयोगियों तथा विरोधियों दोनों से ही कठिन व आंतरिक संघर्ष करना होगा लेकिन उत्तम ग्रह स्थिति व गोचर के कारण जनता आशा से अधिक चुनाव में इनका साथ देगी। जिससे इनके पुनः मुख्यमंत्री बनने का रास्ता लगभग साफ दिखाई दे रहा है।