बराक हुसैन ओबामा पं. शरद त्रिापाठी प्रत्येक अंक में हम विश्व की प्रखयात हस्तियों का ज्योतिषीय विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं। इस बार हम दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा के जीवन का ज्योतिषीय विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं कि कैसे-कैसे संघर्षों और जीवन के उतार-चढ़ाव को पार करके वे अदम्य इच्छाशक्ति के बलबूते पर सर्वोच्च पद तक पहुंचे। कुछ राजा महलों में जन्म लेते हैं, कुछ गलियों में पैदा होते हैं, लेकिन कुछ सच्चाई और उम्मीद के आवरण के परे कल्पनाओं में जन्म लेते हैं। बराक ओबामा का प्रारंभिक जीवन कुछ ऐसा था कि उनके इतने बड़े पद को सुशोभित करने के बारे में केवल कल्पना ही की जा सकती थी। बराक हुसैन ओबामा सीनियर (ओबामा के पिता) केन्या के न्याजा प्रोविंस में अपने पिता के साथ बकरियां चराया करते थे। उनकी मां एन डनहैम का बचपन कैन्सास के विचिता शहर में बीता। डनहैम के पिता ने पर्लहार्बर पर जापानी हमले के बाद द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी सेवाएं देने का फैसला किया। युद्ध के बाद ये लोग हवाई शहर आ गए। इस दौरान बराक सीनियर को स्कॉलरशिप मिली। वे केन्या छोड़कर अपने सपनों को पूरा करने के लिए हवाई शहर आकर बस गए। मानाओ स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के ईस्ट वेस्ट सेंटर में मुस्लिम ओबामा सीनियर और एन डनहैम दोनों विद्यार्थी थे। यहीं पर दोनों की मुलाकात हुई। मुलाकातों का यह सिलसिला प्रेम में बदल गया और 2 फरवरी 1961 को डनहैम और ओबामा सीनियर ने विवाह कर लिया। उनके दिन हंसी-खुशी में बीत रहे थे। 4 अगस्त 1961 को होनोलूलू में कैंपी ओलेनी मेडिकल सेंटर फॉर वीमन एंड चिल्ड्रेन में बराक हुसैन ओबामा द्वितीय ने जन्म लिया। डनहैम और ओबामा सीनियर दोनों बेहद खुश थे। किंतु यह खुशी ज्यादा दिन नहीं रही और जब नन्हा ओबामा दो वर्ष का था, तभी उसके माता-पिता का तलाक हो गया। फिर ओबामा सीनियर पीएच. डी. के लिए हार्वर्ड चले गए और नन्हा ओबामा अपनी मां के साथ रहा। उधर तलाक के बाद एन डनहैम की जिंदगी में लोलो सेटोरो नाम का एक इंडोनेशियाई भूगर्भ विज्ञानी आ गया और शीघ्र ही दोनों ने शादी कर ली। वर्ष 1967 में यह परिवार जकार्ता चला गया जहां ओबामा की सौतेली बहन माया सेटोरो का जन्म हुआ। मां और सौतेले पिता लोलो ने ओबामा की वर्तमान जिंदगी को आकार देने में जी जान लगा दी। आइए, राष्ट्रपति ओबामा की कुडली और जीवन का ज्योतिषीय विश्लेषण करें। बराक ओबामा का जन्मांग तुला लग्न का है जिसमें लग्नेश शुक्र नवम भाव में स्थित है जो उनके भाग्यशाली होने का द्योतक है। भाग्य भाव में बैठा लग्नेश शुक्र मिथुन राशि में 080-23' अर्थात् राहु के नक्षत्र में स्थित है जो एकादश अर्थात् लाभ भाव का सूचक है। एकादश भाव में राहु के साथ मंगल भी स्थित है जो द्वितीय अर्थात् कुटुंब तथा सप्तम अर्थात् पत्नी या मित्र भाव का अधिपति है और संपूर्ण समाज का स्वामी होकर स्थित है। बराक इसी योग व लग्नेश शुक्र के कारण सौम्य स्वभाव तथा लग्नेश शुक्र के राहु के नक्षत्र में होने से ऊंची सोच वाले बने। एकादश में सप्तमेश और द्वितीयेश हों, तो जातक को आदर मिलता है। बराक की 2 वर्ष की अवस्था में उन पर चंद्र की महादशा प्रारंभ हुई। हालांकि चंद्र दशमेश है और उच्च का है, लेकिन 2 वर्ष के जातक के लिए दशम (कार्यक्षेत्र) का कोई अर्थ नहीं होता है। यहां पर इसका अर्थ दूसरे रूप से लेते हैं। दशम भाव अर्थात् नवम का द्वितीय और अष्टम भाव अर्थात् नवम का द्वादश होता है। नवम का द्वादश यानी पिता की हानि हुई। चतुर्थ भाव को लग्न बनाकर देखते हैं तो मकर लग्न बनता है जिसमें लग्नेश शनि स्थित है जो पूर्ण मातृ सुख दर्शाता है। उससे सप्तम भाव अर्थात् कर्क राशि में सूर्य और बुध स्थित हैं। सूर्य पृथकता को दर्शाता है। सूर्य के साथ ही बुध स्थित है, जो मकर लग्न से देखने पर भाग्य भाव का स्वामी है और सप्तम भाव में स्थित है, इसीलिए सप्तम में भाग्य की वृद्धि अर्थात् कई विवाह को दर्शा रहा है। 1995 में इनकी मां की मृत्यु हुई, उस समय राहु में चंद्र की अंतर्दशा चल रही थी। चतुर्थ भाव को माता का लग्न मानते हुए विश्लेषण करें तो पाते हैं कि राहु अष्टम भाव में स्थित है और चंद्र सप्तमेश होकर मारकेश की स्थिति बना रहा है। यह स्थिति मां की मृत्यु की सटीक सूचना दे रही है। जहां एक ओर बैरी (ओबामा का बचपन का नाम) और लोलो की दोस्ती बढ़ रही थी, वहीं डनहैम और लोलो की गृहस्थी में दरार पड़नी शुरू हो गई थी। डनहैम इंडोनेशिया की संस्कृति में डूबती जा रही थीं और नौकरी करना चाहती थीं, जबकि सेटोरो परिवार बढ़ाने की बात सोच रहे थे। दोनों की सोच का अंतर झगड़ा का रूप लेने लगा। डनहैम बेटे पर इन सबका असर नहीं पड़ने देना चाहती थीं, इसीलिए उन्होंने बैरी को 1971 में होनोलूलू (अपने नाना-नानी के पास) की प्रतिष्ठित पुनाहू अकादमी में पढ़ने के लिए भेज दिया। बेटे से अलग होना तकलीफदेह था, इसलिए वह एक साल बाद ही होनोलूलू लौट आईं और अपने बेटे के साथ रहने लगीं। किंतु 1977 में वह फिर इंडोनेशिया चली गईं और 1980 में उनका तलाक हो गया। इधर हाई स्कूल में पढ़ते वक्त ओबामा जूनियर को सिगरेट, शराब यहां तक कि ड्रग्स की भी लत लग गई, हालांकि उनकी पढ़ाई चलती रही। हाई स्कूल की पढ़ाई के बाद बैरी (ओबामा) अमेरिका के लास एंजिल्स शहर आ गया। उसे अपने जीवन के लक्ष्य का अहसास हो गया था। राजनीति में रुचि के कारण उसने यहां के ऑक्सीडेंटल (आक्सी) कॉलेज में प्रवेश लिया। इस वक्त वह महज 18 वर्ष का बालक था। बैरी ने ऑक्सीडेंटल में दो साल बिताए। धीरे-धीरे वह अंतर्मुखी व गंभीर हो रहा था। मां की चेतावनी काम आई थी। राजनीति में उसकी समझदारी बढ़ रही थी। कोलंबिया कॉलेज, न्यूयॉर्क उसकी नई मंजिल थी। यहां ओबामा ने राजनीति विज्ञान की पढ़ाई शुरू की और साथ ही काम करने लगा। उसने इंटरनेशनल रिलेशन में भी मास्टरी हासिल की। 1983 में स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद वह बिजनेस इंटरनेशल कॉरपोरेशन के साथ काम करने लगा। जून 1985 से मई 88 तक कानून की पढ़ाई की और फिर शिकागो चला गया। आइए, ऊपर वर्णित घटनाओं का ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं। ज्योतिष में केतु नाना-नानी का प्रतिनिधित्व करता है, जो ओबामा की कुंडली में पंचम भाव में स्थित है। नानी अर्थात् चतुर्थ भाव के चतुर्थ भाव का स्वामी मंगल है जो लाभ भाव में स्थित है। मंगल और केतु के बीच पूर्ण दृष्टि संबंध है। इसी कारण ओबामा का नानी से लगाव रहा। लगभग 18 वर्ष की अवस्था में उन पर मंगल की दशा चल रही थी और मंगल राहु के साथ स्थित है। अक्सर देखा गया है कि अष्टम के चंद्र के कारण जातक को नशे की लत पड़ जाती है। ओबामा भी इसके शिकार हुए, परंतु शुक्र के ज्यादा प्रभावी होने के कारण यह लत जल्द ही छूट भी गई। उनके ज्ञान व शिक्षा का ज्योतिषीय विश्लेषण करने पर पाते हैं कि पंचमेश शनि अपनी ही राशि में चतुर्थ भाव में तृतीयेश वाक् शक्ति या वाक् निपुणता गुरु के साथ स्थित होकर दशम भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। दशम भाव में स्थित लाभेश और भाग्येश सूर्य और बुध शनि और गुरु पर दृष्टि डाल रहे हैं। उक्त ग्रहों के इस दृष्टि संबंध ने उन्हें अच्छा वक्ता, वकील और शिक्षाविद बनाया। अपने काम और पढ़ाई में पूरी तरह से डूबे ओबामा की जिंदगी को अब एक नया मोड़ देने वाला नाम था मिशेल। 1988 में हार्वर्ड लॉ स्कूल से जूरिस डॉक्टर की डिग्री लेकर मिशेल एक कॉरपोरेट लॉ फर्म में वकील के रूप में काम कर रही थी। मिशेल भी अक्सर उन बातों पर हंसती, जिन पर ओबामा हंसते थे। दोनों के संबंधों को जग जाहिर होने में समय नहीं लगा। एक ही महीने में बराक ने मिशेल के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। पहली बार तो मिशेल ने मना कर दिया। फिर दो सालों तक दोनों में डेटिंग चलती रही। दोनों शादी के विषय में बातें भी करते थे, लेकिन अभी कोई फैसला नहीं लिया था। हालांकि मिशेल अब ओबामा के बारे में गंभीर थी। अक्तूबर 1992 में बराक और मिशेल ने ट्रिनिटी यूनाइटेड चर्च ऑफ क्राइस्ट में शादी कर ली। शादी के कुछ साल दोनों ने एक-दूसरे को समझने में लगा दिए। दोनों एक दूसरे के व्यवहार, मिजाज और आदतों के अनुसार खुद को ढाल रहे थे। 1996 में ओबामा इलिनॉय सीनेट में निर्वाचित हुए और स्टेट सीनेटर के रूप में शपथ ग्रहण की। इस बीच 1999 में उनकी पहली संतान मालिया ने जन्म लिया। ओबामा दंपति बेहद खुश थे और हर पल मालिया की देखभाल में लगे रहते थे। वर्ष 2001 में उनकी छोटी बेटी नताशा (साशा) का जन्म हुआ। आइए ऊपर वर्णित घटनाओं को हम ज्योतिषीय दृष्टि से देखते हैं। प्रेम भाव के लिए पंचम भाव और मंगल तथा शुक्र को देखना चाहिए, पर यहां हम देश, काल और परिस्थिति को देखकर बराक के प्रेम पक्ष का विश्लेषण करेंगे। सूर्य, शनि, बुध और गुरु के दृष्टि संबंध के कारण दोनों के बीच प्रेम प्रगाढ़ है जिसके फलस्वरूप उनका प्रेम विवाह हुआ। अक्तूबर 1992 में बराक पर राहु-शुक्र में मंगल की अंतर्दशा प्रभावी थी। मंगल सप्तमेश और शुक्र लग्नेश और अष्टमेश है। राहु एकादश में सप्तमेश मंगल के साथ स्थित है। इससे एक नए परिवार (विवाह) का संकेत मिलता है। जन्म कालीन शनि जो चतुर्थ घर में स्थित है। यह शनि अक्तूबर 1992 में मकर में था तथा महादशानाथ राहु द्वितीय अर्थात् कुटुंब भाव में गोचर कर रहा था। ग्रहों की इसी स्थिति के कारण उनका वैवाहिक जीवन अत्यंत सुखमय है। वर्ष 1996 में राहु में मंगल की अंतर्दशा चल रही थी। एकादश भाव में सूर्य की राशि में स्थित राहु और मंगल दोनों राजनैतिक व सरकारी लाभ को दर्शाते हैं। इसी योग के कारण उन्हें सीनेटर बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ। संतान का सबसे बड़ा कारक ग्रह गुरु होता है। वर्ष 1999 में गुरु में गुरु की अंतर्दशा चल रही थी, तब इनकी प्रथम संतान का जन्म हुआ। वर्ष 2001 में गुरु में शनि की अंतर्दशा चल रही थी और शनि पंचमेश होकर गुरु के साथ स्थित भी है। वर्ष 2001 में ही शनि गोचर में वृष राशि में स्थित होकर अपनी दशम दृष्टि से पंचम भाव को देख रहा है। इसी गोचर व दशा-अंतर्दशा के कारण 2001 में उनकी द्वितीय संतान का जन्म हुआ। वर्ष 1994 से 2002 तक ओबामा ने बतौर निदेशक शिकागो के वुड्स फंड ऑफ शिकागो में काम किया। नवंबर 2004 में ओबामा ने इलिनॉय सीनेटर पद से इस्तीफा दे दिया और अमेरिकन सीनेट के चुनाव में हिस्सा लिया। अमेरिका के इतिहास में ओबामा पांचवें अफ्रीकी-अमेरिकी सीनेटर बने और 4 जनवरी 2005 में इस पद की शपथ ग्रहण की। इस जिम्मेदारी के साथ ही ओबामा अपनी किताब ऑडेसिटी ऑफ होप को पूरा करने में व्यस्त थे। अक्तूबर 2006 में यह पुस्तक लोगों के हाथों में थी। जनवरी 2007 में ओबामा ने एन्वाइरन्मेन्ट एंड पब्लिक वर्क्स कमिटी से इस्तीफा देकर शिक्षा, श्रम, भविष्यनिधि व स्वदेश सुरक्षा और सरकारी मामलों के काम की जिम्मेदारी संभाल ली। अब उनका सपना बड़ा रूप लेता जा रहा था। फिर 10 फरवरी 2007 के एक सर्द दिन इलिनॉय के स्प्रिंगफील्ड में ओल्ड स्टेट कैपिटल बिल्डिंग के सामने बराक ओबामा ने संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की। यह काम जुए जैसा था। इस वक्त बराक 45 वर्ष के थे। रास्ता आसान नहीं था। यू.एस. सीनेट में बिताए सालों के अलावा उनके पास बड़े राजनीतिक अनुभव की कमी थी पूर्व प्रथम महिला हिलेरी क्लिंटन, जो 6 सालों से सीनेट में थीं और जिन्हें कई स्थापित हस्तियों का सर्मथन था, सबकी पसंदीदा उम्मीदवार थीं। परंतु 3 जून को सभी राज्यों के मतों की गिनती के बाद ओबामा डेमोक्रेटिक पार्टी के अकेले विजयी उम्मीदवार नजर आने लगे। हिलेरी ने अपना अभियान रोक दिया और ओबामा के साथ आकर खड़ी हो गईं। ओबामा ने एक ऐसा स्टाफ बनाया जो अनुसाशन के लिए मशहूर था और जिसमें लीकेज की कोई जगह नहीं थी। फिर ओपरा विनफ्रे, पॉल वोल्कर, कैरोलीन, केनेडी, कॅालिन पॉवेल जैसी हस्तियों का समर्थन ओबामा को मिला। नेशनल पोल का आखिरी दिन था 2 नवंबर। उस दिन जब सब मतदान करने आए, तब ओबामा की नानी मेडलिन की मृत्यु की खबर आई। छोटे बैरी (ओबामा) की दिल से परवरिश करने वाली मेडलिन दुनिया में नहीं रहीं, लेकिन वह अपनी जिम्मेवारी निभा गईं - मरने से पूर्व वह मतदान कर गईं। 4 नवंबर 2008 अमेरिका के इतिहास का स्वर्णिम दिन था, जब डेमोक्रेट उम्मीदवार ओबामा को 349 और उनके प्रतिद्वंद्वी जान मैक्केन को 162 वोट मिलने की घोषणा हुई। आखिर अश्वेत क्रांति के नेता मार्टिन लूथर किंग का सपना सच हुआ। 4 नवंबर 2008 को भारतीय समय के अनुसार रात 11 बजे एक अश्वेत व्यक्ति बराक हुसैन ओबामा ने संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए भारी बहुमत प्राप्त किया। यह अद्भुत रात सदियों तक सबकी स्मृति में बनी रहेगी। इस कुंडली में राहु एकादश अर्थात् अच्छे भाव में स्थित है, शनि, जो तुला लग्न में राजयोग का कारक होता है, मकरस्थ अर्थात् स्वराशिस्थ है। शनि के साथ गुरु स्थित है जो धर्म, अध्यात्म और नीतियों का कारक होता है। 70-34' का गुरु मकर में है और शनि मकर में 10-2' का है अर्थात् दोनों ही सूर्य के नक्षत्र में हैं। सूर्य स्थायी रूप से राजनीति का कारक होता है और वह दशम में स्थित है। ओबामा के जीवन में 1980 से 1998 तक राहु की महादशा चली। वर्तमान समय में 1998 से प्रभावी गुरु की महादशा 2014 तक रहेगी। फिर 2014 से शनि की महादशा शुरू होगी जो 2033 तक चलेगी। 2033 तक का समय इनके जीवन का सबसे अच्छा समय होगा, क्योंकि राहु नैसर्गिक पाप ग्रह होकर शुभ भाव में और शनि तथा गुरु चतुर्थ में वक्री होकर स्थित हैं। यह योग भी एक प्रकार से विपरीत राजयोग की तरह कार्य कर रहा है। कुंडली में तीन ग्रह शुभता रखते हों और व्यक्ति को लगातार उन्हीं की महादशा प्राप्त हो, तो यह योग भी एक प्रकार से राजयोग की तरह ही कार्य करता है। 2 नवंबर 2008 को ओबामा की प्यारी नानी का देहांत हो गया। उस समय इनकी गुरु में शुक्र की दशा चल रही थी। नानी की स्थिति जानने के लिए सप्तम भाव का विश्लेषण करते हैं। सप्तम भाव को लग्न मानें तो मेष लग्न बनता है। मेष लग्न में गुरु द्वादशेश होता है और शुक्र द्वितीयेश व सप्तमेश होकर मारक होता है। गोचर में द्वादशेश गुरु धनु राशि में स्थित होकर अपनी पांचवीं दृष्टि से मेष राशि अर्थात् लग्न को देख रहा था। शुक्र अष्टम भाव अर्थात् वृश्चिक राशि में विचरण कर रहा था। गोचर व दशा अंतर्दशा की यही स्थिति नानी की मृत्यु का कारण बनी। ज्योतिष के जानकार सवाल उठा सकते हैं कि सप्तम भाव से पत्नी की स्थिति का विचार भी किया जाता है और ऐसे में पत्नी की मृत्यु भी हो जानी चाहिए, लेकिन हम जानते हैं कि ज्योतिष में एक भाव से कई चीजें देखी जाती हैं। जिस दशा काल में नानी की मृत्यु हुई, उसी दशा काल में चुनाव की व्यस्तता या अन्य कारणों से ओबामा का काफी समय पत्नी से दूर रहकर व्यतीत हुआ। सन् 2007 में ओबामा और उनकी पत्नी की कुल आय 42 लाख डॉलर थी। अधिकांश पैसा उनकी पुस्तकों की रायल्टी से आया था। संगीतकार या पॉप गायक न होने के बावजूद ओबामा को उनकी दो किताबों क्रमशः 'ऑडेसिटी ऑफ होप' और 'ड्रीम फ्रॉम माइ फादर' के ऑडियो वर्जन के लिए उन्हें ग्रैमी अवॉर्ड मिल चुका है। अच्छे लेखक के लिए बुध और तृतीय भाव, जिससे लेखकीय गुणों का विचार करते हैं, का मजबूत होना जरूरी है। ओबामा की कुंडली में गुरु तृतीयेश है तथा गुरु और बुध दोनों क्रमशः चतुर्थ और दशम में बैठकर आपस में दृष्टि संबंध बना रहे हैं। जनवरी 2009 के अंतिम सप्ताह में नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जब शपथ लेंगे, उस समय उनपर गुरु में सूर्य में राहु का अंतर चल रहा होगा। मकर राशि में गोचर में सूर्य-राहु दोनों रहेंगे, जिनकी दृष्टि जन्म कालीन सूर्य पर होंगी। ज्योतिष में सूर्य और राहु के संयोग को ग्रहण योग कहा जाता है, लेकिन इस कुंडली में सूर्य और राहु दोनों ही फलदायी ग्रह हैं। शपथ ग्रहण के समय गुरु, सूर्य एवं राहु तीनों ही मकर राशि में यानी चतुर्थ भाव में स्थित होकर दशम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेंगे। अतः ग्रहों का यह योग इन्हें विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली पद पर पहुंचाएगा। अतः यहां ग्रहण योग न होकर एक विशेष सुदृढ़ योग का निर्माण हो रहा है। फिर सितंबर से ओबामा पर गुरु में चंद्र की महादशा प्रारंभ हो जाएगी। ओबामा के जन्मांग में उच्च का चंद्र अष्टम भाव में है, अतः वह पूरी सूझ-बूझ के साथ समस्याओं को सुलझाने के लिए अच्छी योजनाओं को क्रियान्वित करेंगे। इसके पश्चात् उन पर गुरु में मंगल तथा गुरु में राहु की अंतर्दशाएं चलेंगी। इन दोनों ही ग्रहों के एकादश भाव में स्थित होने तथा मंगल के द्वितीयेश व सप्तमेश होने के कारण ओबामा अमेरिका की आर्थिक व्यवस्था को पुनः सदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। सन् 2014 से ओबामा पर शनि की महादशा प्रारंभ हो जाएगी। इस महादशा के दौरान वह राजनीति से कुछ दिनों का अवकाश लेकर लेखन कार्य कर सकते हैं। विशेष योग : लाभेशे कर्मभावस्थे कर्मेशे बल संयुते। देवेन्द्रगुरुणा दृष्टे सतकीर्तिसहितो भवेत्॥ - बृहद पाराशर यदि जन्म पत्रिका में लाभ का स्वामी दशम में हो तथा दशमेश बली हो और दशम भाव पर गुरु की दृष्टि हो तो जातक यशस्वी होता है।