1.यदि पंचम भाव, पंचमेश और संतानकारक गुरु राहु के द्वारा (युति या दृष्टि) पीड़ित हों सर्प श्राप से संतान बाधा आती है। उपाय जप: ऊँ रां राहवे नमः या ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः 18000 बार जप शनिवार को करें। गरुड़ पुराण का पाठ करें। भगवान भोलेनाथ की पूजा करें और ऊँ नागेश्वराय नमः मंत्र का जप करें। दान: सरसों या सरसों का तेल, काले रंग के वस्त्र, पुष्प, मछली (दवा के लिए) दान करें। महा शिवरात्रि और नागपंचमी के दिन नाग नागिन का चांदी या तांबे का जोड़ा पूजा करने के पश्चात किसी प्राण प्रतिष्ठित शिव लिंग पर चढ़ाएं।
राहु से संबंधित चीजों से परहेज रखें।
- सपेरे को पैसे देकर सांप को कैद से मुक्त कराएं।
2. यदि पंचम, पंचमेश, संतानकारक गुरु से, अशुभ योग सूर्य दशमेश, नवमेश (पितृ भावेश) से बनता है तब पितृ श्राप से संतान बाधा आती है। उपाय जप: ऊँ घृणि सूर्याय नमः या ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः 7000 बार रविवार को जप करें। दान: गेहूं, गुड़, तांबा, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चंदन तथा माणिक्य रविवार के दिन यथाशक्ति योग्य व्यक्ति (जिसे आवश्यकता हो) को दान करें।
- पितृ पक्ष में श्राद्ध करें, पिता के उम्र के गरीब व्यक्तियों को भोजन कराएं।
- उच्चाधिकारी, पिता या पिता तुल्य व्यक्तियों का सम्मान करें।
- सूर्य से संबंधित चीजों से परहेज रखें। मेथी, करेला, कुनैल आदि गरम चीजें।
3. जब पंचम भाव, पंचमेश और संतानकारक गुरु अशुभ चंद्र और चतुर्थेश (मातृ भाव) से पीड़ित हो तब माता के श्राप से संतान बाधा आती है।
उपाय: जप: ऊँ सों सोमाय नमः का 11000 बार जप सोमवार या पूर्णिमा के दिन करें। शंकर जी की पूजा, सोमवार का व्रत और ऊँ नमः शिवाय का जप करें। सफेद प्रसाद बांटें। दान: सफेद रंग के वस्त्र, पदार्थ, सफेद गाय, बछड़ा, मोती, चावल, शंख, कपूर, दूध, सफेद पुष्प, रजत पात्र यथाशक्ति माता समान गरीब स्त्रियों को दान करें।
- चंद्र माता और स्त्री का कारक या प्रतिनिधि ग्रह होता है। अतः जातक को इनका सदैव सम्मान करना चाहिए।
- चंद्र जल का कारक है अतः गर्मियों में पशु पक्षियों, व्यक्तियों के लिए प्याऊ की व्यवस्था करवाना बढ़िया उपाय है।
- चंद्रमा से संबंधित चीजों जैसे दूध, सफेद मिठाइयां, आइसक्रीम और ठंडी चीजों से परहेज रखें, बल्कि इनका दान करें।
- जब पंचम भाव, पंचमेश और संतानकारक गुरु का अशुभ संबंध मंगल, तृतीयेश तथा एकादशेश (भाई के कारक और भ्रातृ भावेश) से होता है, तो भ्रातृ श्राप से संतान बाधा आती है।
उपाय
जप: ऊँ अं अंगारकाय नमः का 10000 बार मंगलवार को जप करें या ऊँ भूमि सुताय नमः का जप करें। मंगलवार को हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ करें। दान: लाल रंग के वस्त्र, फूल, मसूर की दाल (छिलका रहित), मूंगा, शस्त्र आदि का यथाशक्ति दान करें।
मदद: मंगल से पीड़ित व्यक्तियों की मदद करें।
- मंगल भाई का कारक है। अतः बड़े भाइयों और उनकी उम्र के व्यक्तियों का सम्मान करें तथा छोटे भाइयों की मदद और उनसे प्रेम करें। परहेज: मंगल से संबंधित चीजों, मांस, तीखे भोजन, मिर्च मसाला, काली मिर्च, लौंग आदि से परहेज करें।
5. जब पंचम भाव, पंचमेश और लग्न से अशुभ गुरु या नवमेश का संबंध होता है तब ब्राह्मण या गुरु के श्राप से संतान बाधा आती है। उपाय ऊँ बृं बृहस्पतये नमः का 19000 बार जप गुरुवार को करें। पीपल वृक्ष की सेवा (पूजा) तथा विष्णु सहस्रनाम, विष्णु पुराण का पाठ करें।
दान: पीले रंग के वस्त्र, पुष्प, पीले अनाज, चने की दाल, ब्राह्मण या गुरु को दान करें।
- ब्राह्मण, पुरोहित, शिक्षक का सम्मान करें।
- गुरु ज्ञान धर्म का कारक है अतः विद्यालय की यथाशक्ति मदद करें।
- पीले भोजन, पीली मिठाइयां, जलेबी, मुगद से परहेज करें।
6. पंचम भाव, पंचमेश गुरु का अशुभ शुक्र या सप्तमेश से संबंध हो तब पत्नी श्राप से संतान बाधा आती है।
उपाय
जप: ऊँ शुं शुक्राय नमः का 16000 बार जप शुक्रवार को करें। महालक्ष्मी व्रत, शुक्रवार व्रत और संतोषी माता का व्रत करें। स्फटिक के श्री यंत्र की पूजा करें।
दान: रेशमी वस्त्र, रंग विरंगे वस्त्र, स्फटिक यंत्र, सुगंधित द्रव्य, सौंदर्य प्रसाधन की चीजें, दही, मक्खन यथाशक्ति दान करें।
- शुक्र स्त्री और पत्नी का कारक है अतः पत्नी और स्त्रियों का कभी भी अपमान न करें, बल्कि सम्मान दें और मदद करें।
- शुक्र से संबंधित चीजों खट्टे फल, नीबू, इमली, दही आदि से परहेज करें। कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों से बचें।
7. पंचम भाव, पंचमेश, संतानकारक गुरु का अशुभ संबंध जब बुध (माता-पिता का भाई) से होता है तब मामा के श्राप से संतान बाधा आती है।
उपाय
जप: ऊँ बुं बुधाय नमः, 8000 बार जप बुधवार को करें। गणेश जी का पूजन और ऊँ गं गणपते नमः जप करें।
दान: मूंग दाल, हरे रंग की सब्जी भाजी, हरे वस्त्र, पन्ना, ओनेक्स आदि दान करें।
- बुध बुद्धि का कारक है अतः बुद्धिमान लोगों, विद्यार्थियों की मदद करें। गरीब बच्चों को यथाशक्ति पाठ्य समग्री दान करें।
- बुध नपुंसक ग्रह है अतः नपुंसकों को बुध संबंधी चीजें दान करें।
- मामा या चाचा का सदैव सम्मान करें।
- बुध युवा ग्रह है अतः युवाओं का अपमान न करें।
8. जब पंचम भाव, पंचमेश, संतान कारक गुरु का अशुभ संबंध शनि से हो तब प्रेत श्राप से संतान बाधा आती है।
उपाय
जप: ऊँ शं शनैश्चराय नमः का 23000 बार जप शनिवार को करें या ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का 23000 बार जप करें। शिव चालीसा, हनुमान चालीसा और शिव स्तोत्र का पाठ करें।
दान: लोहे की चीजें चिमटा, सरिया, कुर्सी, काले और नीले वस्त्र, भैंस, उड़द, चमड़े का काले रंग का सामान बेल्ट आदि किसी गरीब वृद्ध को दान करें।
- शनि नौकर, मजदूर, जमादार का कारक है। अतः इन्हें उचित मजदूरी दें।
- शनि वृद्ध ग्रह है अतः गरीब, असहाय वृद्धों की मदद करें। वृद्धाश्रम में यथाशक्ति दान दें।
- शनि अभाव, गरीबी, रोग का कारक है। अतः गरीब मरीजों को मुफ्त दवा बांटें।
- बासी चीजों मिठाई, भोजन आदि से परहेज करें। 9. जब पंचम, पंचमेश, संतानकारक गुरु से केतु, षष्ठम और षष्ठेश का अशुभ संबंध हो तब शत्रु श्राप या शत्रुकृत कार्यों से संतान बाधा आती है।
उपाय
जप: ऊँ कें केतवे नमः का 17000 बार जप मंगलवार की शाम को करें।
दान: सफेद और काले रंग के वस्त्र, अनाज, कंबल, कपड़ा, तिल, लहसुनिया, काले सफेद रंग की गाय, बछड़ा आदि दान करें।
- काले सफेद रंग के कुत्ते को भोजन का हिस्सा खिलाएं।
(कुत्ता पालतू नहीं हो) - घर में लोबान की धूप दें। इससे शत्रु कृत कर्म (प्रेत, आत्माओं आदि) से शांति मिलती है।