अभिषेक और ऐश्वर्या का गठबंधन आचार्य किशोर के बीच नजदीकियां इतनी बढ़ीं कि दोनों परिणय सूत्र में बंधने जा रहे हैं। पिछले कईं दिनों से पर्दे पर चर्चित रही इस जोड़ी का दाम्पत्य जीवन कैसा रहेगा, प्रस्तुत है उसी का ज्योतिषीय विश्लेषण...
सप्रसिद्ध भारतीय विश्वसुंदरी ऐश्वर्या राय की सुप्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन के सुपुत्र अ.ि भनेता अभिषेक बच्चन से सगाई व विवाह की संभावनाओं की खबरें मीडिया पर छाई हुई हैं। ऐश्वर्या की अभिषेक व बच्चन परिवार समेत स्वहरिवंशराय बच्चन के जन्म दिवस पर बनारस जाकर ग्रह शांति के लिए पूजा अर्चना से इनके बनते हुए नए संबंधों में प्रगाढ़ता आई है। मीनाक्षी मंदिर में इन दोनों का एक साथ जाना भी चर्चा का एक प्रमुख विषय बन गया है।
आइए, इन जुड़ते हुए नए संबंधों का ज्योतिषीय विश्लेषण करें। ऐश्वर्या राय की मकर लग्न की कुंडली है। मकर लग्न के लिए पंचमेश व दशमेश शुक्र योगकारक होकर लग्न से द्वादश भाव में है तथा उसकी प्राकृतिक शुभ ग्रहों बृहस्पति व बुध के बीच शुभ कर्तरी योग में स्थिति अत्यंत शुभ फलदायक है।
इसी कारण उन्हें सिनेमा जगत में सफलता प्राप्त हुई। यही नहीं मंगल मेष राशि अपनी मूलत्रिकोण राशि में चतुर्थ केंद्र में पंचमहापुरुष रुचक योग भी बना रहा है। प्राकृतिक शुभ ग्रह बृहस्पति की लग्न में स्थिति ने उन्हें विश्वभर में अत्यधिक प्रतिष्ठा व सफलता दिलाई है। दशम भाव में नीचस्थ सूर्य का नीच भंग भी हुआ है तथा उसी भाव में दिग्बली सूर्य ने उनकी प्रतिष्ठा में चार चांद लगाए हैं।
इस तरह जातका को अनेक राजयोग मिले हैं जिनके कारण उन्हें अनेक प्रकार के सुख प्राप्त हुए हैं। भाग्येश बुध पर सुखेश मंगल की दृष्टि, नवमेश बुध की एकादश व दशमेश शुक्र की द्व ादश भाव में स्थिति इन सभी कारण् ाों से जातका फिल्म लाइन में हिट हुई हैं। वर्तमान समय में राहु की महादशा में शनि की अंतर्दशा व बुध की प्रत्यंतर दशा 20/1/2007 से 16/6/2007 तक चलेगी।
ऐश्वर्या की कुंडली में गुरु वृश्चिक राशि में लग्न से एकादश भाव में बैठकर सप्तम भाव को देख रहा है। गोचर में 10 जनवरी 2007 के बाद शनि कर्क राशि में उनके सप्तम भाव में गुरु की दृष्टि में रहेगा। चंद्र कुंडली से सप्तमेश बुध की प्रत्यंतर दशा के अंतर्गत अभिषेक व ऐश्वर्या दोनों दाम्पत्य सूत्र में बंध जाएंगे। आइये एक नजर अभिषेक बच्चन की कुंडली पर भी डालें।
अभिषेक की कुंडली में तुला लग्न के लिए शुक्र लग्नेश है। वर्तमान समय में उनकी शुक्र की महादशा में शनि की अंतर्दशा चल रही है जो 6/1/2007 तक रहेगी। चतुर्थेश व पंचमेश शनि योगकारक ग्रह होकर दशम् केंद्र में स्थित है। शुक्र एवं शनि का एक दूसरे से षडाष्टक होकर स्थित होने के कारण उन्हें राजयोग प्राप्त हुआ है, अन्यथा उन्हें इनका शुभत्व प्राप्त नहीं होता।
लग्नेश शुक्र की महादशा उन्हें 2011 तक शुभ फल देती रहेगी। जातक के सभी केंद्रों में ग्रह हैं, चतुर्थ भाव में बुध आदित्य व षष्ठ भाव में गुरु चंद्र योग बन रहे हैं। योगक ारक ग्रह शनि दशम केंद्र में चंद्रमा से त्रिकोणस्थ एवं भाग्येश बुध से केंद्र में कई राज योग बना रहा है। अभिषेक की कुंडली में मंगल अष्टम भाव में मंगली योग बना रहा है परंतु सप्तम भाव में केतु, चंद्र से अष्टम भाव में राहु को भी मंगली माना जा सकता है।
यही नहीं शुक्र की शनि से अष्टमस्थ स्थिति भी मंगल दोष उत्पन्न कर रही है। कुल मिलाकर अभिषेक गंभीर रूप से मंगली हैं। रही बात ऐश्वर्या राय की कुंडली की तो मंगल के चतुर्थ केंद्र में और अपनी ही मूलत्रिकोण राशि में स्थित होने पर भी वह इस दोष से मुक्त हंै। चंद्र लग्न से सप्तम भाव में शनि व केतु मंगली हैं। शुक्र से भी सप्तम भाव में शनि व केतु मंगली हंै।
अभिषेक की कुंडली में गोचर में वृश्चिक राशि में गुरु लग्न से द्वि तीय और चंद्र से भाग्य स्थान में स्थित है। उन पर 6/1/2007 से 6/11/2007 तक शुक्र में बुध की अंतर्दशा चलेगी व 6/1/2007 से 6/6/2007 तक शुक्र में बुध में बुध की प्रत्यंतर दशा के अंतर्गत निश्चित रूप से इनका विवाह होगा तथा जब गोचर में शुक्र का उदय 23 जनवरी के बाद होगा तभी इनके विवाह का मुहूर्त निकलेगा। जीवन सदैव परिवर्तनशील रहा है।
ग्रहों के गोचर व दशा-अंतर्दशा ने समय-समय पर अपना असर दिखाया है। अतः मेरे विचार में अभिषेक की शुक्र की महादशा के बाद सूर्य की महादशा में 2011 के पश्चात तथा ऐश्वर्या की राहु की महादशा में केतु की अंतर्दशा के मध्य दोनों के विचारों में मतभेद व अलगाव की स्थिति पैदा होने की संभावना भी है।
रही बात इन दोनों के कर्म जीवन की, तो विवाहोपरांत भी ऐश्वर्या फिल्मी क्षेत्र में एक तारे के रूप में राहु की महादशा के अंतर्गत चमकती रहेंगी। अभिषेक भी एक सफल अभिनेता के रूप में उभरते रहेंगे किंतु उतार चढ़ाव की परिस्थितियों का सामना इन दोनों को करना पड़ेगा।
उपाय: अपने जीवन की समस्याओं से जूझने के लिए ऐश्वर्या को राहु के बीज मंत्र का जप करना चाहिए व गोमेद धारण करना चाहिए।
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