खिलाड़ी बनने के योग मिथिलेश कुमार सिेहकुंडली के भावों एवं ग्रहों की विशिष्ट स्थितियां व्यक्ति में खेलों के प्रति रुझान तथा आवश्यक क्षमता उत्पन्न करती हैं। उसमें सफल खिलाड़ी बनने की क्षमताओं का सही आकलन कर लिया जाए, तो इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रारंभ से ही उचित प्रशिक्ष... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकव्यवसायअप्रैल 2005व्यूस: 11220
गोचर विचार फ्यूचर पाॅइन्टगोचर का विश्लेषण करने के लिए चंद्र लग्न एवं अन्य ग्रहों का किस प्रकार प्रयोग करना चाहिए, इससे संबंधित नियमों का विस्तृत रूप से उदाहरण सहित वर्णन करें।... और पढ़ेंज्योतिषगोचरभविष्यवाणी तकनीकज्योतिषीय विश्लेषणजून 2011व्यूस: 7424
गौतम बुद्ध शरद त्रिपाठी‘‘बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघ शरणं गच्छामि, उपर्युक्त दीक्षा मंत्र ग्रहण करके कोई भी बिना किसी भेद भाव के बुद्ध की शरण प्राप्त कर सकता था। किंतु भिक्षु संघ में प्रवेश हेतु केवल यह दीक्षा मंत्र ही पर्याप्त न... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याज्योतिषीय विश्लेषणदिसम्बर 2015व्यूस: 17898
इच्छित संतान शुभेष शर्मनयदि हम चाहते हैं कि हमें ऐसी संतान प्राप्त हो जो सामाजिक, पारिवारिक, आध्यात्मिक अथवा सांस्कारिक व्यथा को पूरा करें अथवा जो हमें दैविक और भौतिक दोनों सुखों को दे, इसके लिए हमें हमारी संतान पद्धति के षोडष संस्कार की व्यवस्था को अपना... और पढ़ेंज्योतिषउपायमुहूर्तबाल-बच्चेजनवरी 2012व्यूस: 9362
2014 के सौभाग्यशाली संतान योग आभा बंसलइस आलेख का मुख्य उद्देश्य यह है कि हम नवविवाहित दंपत्तियों को अपनी भावी संतान के भविष्य को समझने के लिए कुछ सूत्र दे सकें और वे अपनी संतान के सौभाग्य के लिए उन्हें उनके अनुकूल व श्रेष्ठ समय में संसार में ला सकें। आजकल ज्यादातर लोग... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय योगगोचरमुहूर्तबाल-बच्चेमई 2013व्यूस: 10612
सौन्दर्य का आधार- स्वर्णिम अंक डॉ. अरुण बंसलकिसी व्यक्ति को देखते ही उसके स्वरूप की ओर हम आकर्षित हो जाते हैं और किसी को देखकर हम अपना मुंह मोड़ लेते हैं। कोई व्यक्ति स्त्री या पुरुष सुन्दर क्यों लगता है और वह न केवल हमारे लिए अपितु सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र क्यों होता है... और पढ़ेंज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकज्योतिषीय विश्लेषणविविधमार्च 2016व्यूस: 11950
संतान सुख में बाधक योग कारण एवं निदान दिलीप कुमारशास्त्र कहता है ‘अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम’ अर्थात मनुष्य को अपने किए गए शुभ-अशुभ कर्मों के फलों को अवश्य ही भोगना पड़ता है। शुभ-अशुभ कर्म मनुष्य का जन्म जन्मांतर तक पीछा नहीं छोड़ते। यही तथ्य बृहतपाराशर होरा शास्त्र के ... और पढ़ेंज्योतिषउपायज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकबाल-बच्चेअप्रैल 2006व्यूस: 9845
अपरिचित महत्वपूर्ण ग्रह अंजली गिरधरभारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार,ब्रह्मांड में सात प्रमुख ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि) तथा दो छाया ग्रह (राहु, केतु) का वर्चस्व एवं प्रभाव स्वीकार किया गया है,... और पढ़ेंज्योतिषग्रहखगोल-विज्ञानअप्रैल 2013व्यूस: 11286
क्या आप जानते है यशकरन शर्मामध्य युग में बहुत से धार्मिक गुरुओं को ज्योतिष के अति विशष्ट जानकारी रहती थी। सिक्सस चतुर्थ पहले पॉप थे जिन्हें जन्मपत्री बनाने व् इसके आधार पर भविष्यवाणी करने की योग्यता प्राप्त थी।... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगमार्च 2013व्यूस: 11105
क्या आप जानते हैं? यशकरन शर्मा25-26 अप्रैल 2013 का आंशिक चंद्रग्रहण 21वीं सदी का तीसरा सबसे छोटे अंतराल का ग्रहण था जो कि लगभग 27 मिनट तक रहा।... और पढ़ेंज्योतिषखगोल-विज्ञानविविधजून 2013व्यूस: 8083
अलबर्ट आइंस्टाईन यशकरन शर्मामनुष्य के पास अगर विलक्षण बौद्धिक क्षमता है तो वह आश्चर्यजनक कार्य कर सकता है। बुद्धिजीवी वर्ग में अलबर्ट आइंस्टाईन का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है।... और पढ़ेंज्योतिषप्रसिद्ध लोगज्योतिषीय योगदशागोचरसफलताभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याज्योतिषीय विश्लेषणजुलाई 2010व्यूस: 8068
ज्योतिष और विदेश यात्रा पृथ्वीराज बोसआजकल ज्योतिषियों के पास आने वाले लोगों के द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों में एक प्रमुख प्रश्न, उनकी विदेश यात्रा के विषय मे होता है। उनमें यह जानने की उत्सुकता होती है कि क्या वे कार्य, शिक्षा, व्यापार आदि के लिए विदेश जा ... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगदशागोचरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्यायात्राअकतूबर 2004व्यूस: 9560