मंगल

सूर्य के इर्द – गिर्द घूमने वाले ग्रहों में चौथा गृह मंगल है। अर्थात मंगल की कक्षा चौथी है। हमारी पृथ्वी मंगल और शुक्र ग्रहों के बीच में है। पृथ्वी के निकट ब्रह्मा कक्षा ग्रह है। इसकी सूर्य से दूरी १२७० लाख से १५३० लाभ मील के बीच ... और पढ़ें

जून 2008

व्यूस: 9986

श्रीकृष्ण जन्मभूमि के प्राचीन मंदिर

मधुरा नगरी का जितना महत्व धार्मिक दृष्टि से है, उतना ही ऐतिहासिक दृष्टि से भी है। देश का ऐसा कोई प्रसिद्ध तीर्थ नहीं जो मथुरा मंडल में न हो तो या मथुरा का उससे किसी न किसी प्रकार का संबध न हो। अयोध्या, काशी, हरिद्वार, अवंती सभी प्... और पढ़ें

अकतूबर 2008

व्यूस: 9646

तंत्र परिभाषा एवं कुछ महत्वपूर्ण प्रयोग

शिव जी ने आयुर्वेद, पदार्थ विज्ञान, जीवन विज्ञान शास्त्र और कर्म योग के ज्ञान-विज्ञान पर आधारित जन कल्याण का मार्ग दिखने वाली तंत्र विद्या का ज्ञान दतात्रेय जी को दिया। तंत्र की परिभाषा निम्नवत हैं।-... और पढ़ें

अकतूबर 2012

व्यूस: 14955

सर्वोपयोगी कृपा यंत्र

श्री शिव शंकर कृपा यंत्र - भगवान् शिव सभी इच्छाओं को जल्दी पूरा करने वाले देव हैं। भगवान् शिव शंकर कृपा यंत्र की उपासना व्यक्ति के जीवन को कलह मुक्त बनाने वाली कही गयी हैं। अक्सर सांसारिक जीवन में विपरीत परिस्थितियों का सामना करन... और पढ़ें

आगस्त 2012

व्यूस: 7764

ब्रहम स्थान में दोष-परिवार में असंतोष

कुछ समय पहले पंडित जी को हिसार में एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी श्री पुरुषोतम जी ने अपने घर पर वास्तु निरिक्षण के लिये बुलाया। वहां जाने पर पता चला की व्यवसायी की पत्नी का सन २००६ में छोटी अंत का आपरेशन हुआ था जो प्राणघातक हो सकता था। ... और पढ़ें

अकतूबर 2011

व्यूस: 8243

वर्ष  2012 का  भारत

वर्ष 2012 का संबंध हाल ही में माया सभ्यता के कैलेंडरों और सृष्टि के अंत से जोड़कर देखा जाता रहा है। लेकिन ज्योतिष के आइने में यथार्थ में यह वर्ष कब और कितना उतार-चढ़ाव लेकर आयेगा जानिए इस लेख में।... और पढ़ें

जनवरी 2012

व्यूस: 9166

तिथि के देवता करते हैं, कामना पूरी

हमारे शास्त्रों में तिथि को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जिस तिथि के जो देवता बताये गये हैं, उन देवताओं की पूजा उपासना उसी तिथि में करने से सभी देवता उपासक से प्रसन्न हो उसकी अभिलाषा को पूर्ण करते हैं। प्रतिपदा: इसे प्रथम ति... और पढ़ें

फ़रवरी 2014

व्यूस: 16186

महादेव प्रसन्न हो जाते हैं

त्रिलोकी नाथ, त्रिकाल दृष्टा, त्रिनेत्र, आशुतोष, जगतपिता शिव आदि अनेक नामों से हम भगवान् महादेव को पुकारते हैं। महाप्रलय के समय भगवान् शिव ही अपने तीसरे नेत्र से सृष्टि का संहार करते हैं। परन्तु जगत पिता होकर भी भगवान् शिव परम सरल... और पढ़ें

आगस्त 2012

व्यूस: 9307

लक्ष्मी के अति प्रिय उल्लू की विशिष्टता

प्रकृत्ति प्रदत्त कुछ प्राणी या जीव केवल उदित प्रकाश में ही देख पाते हैं व कुछ शेर, गीदड़, कुत्ते, बिल्ली आदि जैसे जीव अंधकार व प्रकाश दोनों ही अवस्थाओं में, किंतु इनसे विपरित अणुवीक्षण दृष्टि रखने वाले अनोखे पक्षी उल्लू के नेत्रो... और पढ़ें

नवेम्बर 2013

व्यूस: 51723

ईशान में दोष- घर में तनाव एवं बच्चों के विकास में अवरोध

कुछ दिन पूर्व कोलकाता शहर के व्यापारी के घर का पं0 गोपाल शर्मा जी द्वारा वास्तु निरीक्षण किया गया। उनका कहना था कि मुझे नौकरी में परेशानी आ रही है। घर में सुख शांति भी नहीं रहती, हमेशा तनाव बना रहता है। लड़की का विवाह नहीं हो पा र... और पढ़ें

जुलाई 2013

व्यूस: 6248

मारक ग्रह और उसका प्रभाव

लग्न कुंडली के द्वितीय और सप्तम स्थान मारक स्थान हैं। यह इसलिए की तृतीय भाव और अष्टम भाव आयु के भाव और और उनसे द्वादश भाव क्रमश: द्वितीय और सप्तम भाव की अपेक्षा प्रबल मारक होता हैं।... और पढ़ें

जुलाई 2012

व्यूस: 11671

होरा मुहूर्त एवं राहुकाल विचार

प्रत्येक दिन दिनमान अर्थात सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के कुल समय का आठवां भाग राहुकाल कहलाता है. इस भाग का स्वामी राहु होता है. दक्षिण भारत के ज्योतिष मनीषी इसे बहुत अनिष्टकारी मानते है....... और पढ़ें

नवेम्बर 2009

व्यूस: 12760

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