सूर्य की कक्षा का दूसरा ग्रह शुक्र शुक्र जिसे भोर या शाम का तारा भी कहते है। का स्थान, बुध के बाद दूसरा है। सूर्य की परिक्रमा करने वाले ग्रहों की कक्षाओं में शुक्र की कक्षा दूसरी है। इसकी कक्षा, क्रांतिवृत के दोनों और अधिकतम ३ अंश २४ मिनट का कोण बनाते हुए झुकी है। ... और पढ़ेंमई 2008व्यूस: 10726
दीपावली पर तंत्र एवं तांत्रिक वस्तुओं का महत्व दीपावली का पर्व विशेष रूप से शाक्तों का पर्व है। शाक्त अथवा तांत्रिक वे होते है जो विभिन्न दस महाविद्याओं या महाशक्तियों में से किसी एक ही उपासना करते है। दीपावली की रात को शाक्त शक्ति का विशेष रूप से आवाहन करते है। ... और पढ़ेंअकतूबर 2008व्यूस: 21900
हथेली में पाए जाने वाले चिन्ह और उनका प्रभाव राजेंद्र कुमार जोशीहस्तरेखा विज्ञान में रेखाओं, पर्वतों, उँगलियों, अंगूठों नाखूनों आदि के साथ-साथ चिन्हों का भी अपना अलग महत्व है। मात्र हस्त-चिन्ह देख कर किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, भाग्य या स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक बातें मालूम हो सकती है। भारतीय मत... और पढ़ेंहस्तरेखा शास्रग्रह पर्वत व रेखाएंभविष्यवाणी तकनीकआगस्त 2006व्यूस: 279485
भविष्य जानने की प्राचीन विद्या रमल रमेश पांडेयरमल भूत, भविष्य, वर्त्तमान, रूप, आयु तथा मृत्यु हर प्रकार के शुभाशुभ फल ज्ञात करने की प्राचीन विद्या है. भारतीय विद्वानों के मतानुसार ज्योतिष के अन्य अंगों की भाँती 'रमल' विद्या भी मूलत" भारत की ही दें है.... और पढ़ेंज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकरमल शास्त्रअकतूबर 2011व्यूस: 39914
महिमामय प्राचीनतम देवी-तीर्थ कामाख्या भारतवर्ष में तंत्र, मन्त्र, यंत्र के सबसे बड़े व् प्रधान धार्मिक केंद्र के रूप में मान्य कामाख्या का यह स्थान अति प्राचीन हैं। इस तीर्थ को कामाक्षा, कामरूप, कामाख्या अथवा कमरू कामाख्या भी कहा जाता हैं।... और पढ़ेंजुलाई 2012व्यूस: 8421
दिनमान एवं रात्रिमान में क्यों होता है परिवर्तन सूर्य उप बिंदु पृथ्वी पर वह स्थान होता है जहां पर सूर्य उच्चतम बिंदु पर होता हैं। उस स्थान पर सूर्य की किरणें एकदम सीधी पड़ती हैं। क्योंकि सूर्य उस स्थान से ९० अंश का कोण बनाता हैं। यह बिंदु स्थिर नहीं होता हैं।... और पढ़ेंसितम्बर 2012व्यूस: 11528
नौकरी एवं व्यापार में किसका चयन करें एस. एल. मालवीयसाधारणतया हम आजीविका के लिए जन्मकुंडली में दशम भाव देखते हैं। छठा भाव नौकरी एवं सेवा का है। उसका कारक ग्रह शनि है। दशम भाव का छठे भाव से संबंध होनानौकरी दर्शाता है। नौकरी में जातक किसी दूसरे के अधीन कार्यरत होता है। लग्न में, अथवा... और पढ़ेंज्योतिषअप्रैल 2010व्यूस: 5838
रोगों के कारक ग्रह और उनके ज्योतिषीय उपाय शरद त्रिपाठीरोग कारक ग्रह जब गोचर में जन्मकालीन स्थिति में आते हैं और अंतर-प्रत्यंतर दशा में इनका समय चलता है तो उसी समय रोग उत्पन्न होता है। यदि षष्ठेश, अष्टमेश एवं द्वादशेश तथा रोग कारक ग्रह अशुभ तारा नक्षत्रों में स्थित होते हैं तो रोग की... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यउपायज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2006व्यूस: 18111
नव रत्नों का संक्षिप्त परिचय घनश्यामदास ज्योतिषीअथ ग्रहाणां दौष्टय परिहार पूर्वकं तुष्टि संयादनार्थ। नवरत्न समुदाय धारणं शालिन्याहवज्रं शुक्रेऽव्जे।। सुमुक्ता प्रवालं भौमेऽगौ गोमेद मार्को सुनीलम्। केतौवैदूर्यं गुरौ पुष्पकं ज्ञे पाचिः प्राङ्माणिक्यमर्के तु मध्ये।। गोचर में दुष... और पढ़ेंउपायरत्नजनवरी 2004व्यूस: 11862
हाथ की महत्वपूर्ण रेखाए फ्यूचर पाॅइन्टप्रत्येक व्यक्ति के हाथ की रेखाएं भिन्न होती हैं। किसी भी दो व्यक्ति के हाथ की रेखाएं एक जैसी नहीं हो सकतीं। यदि ऐसा होता तो लेन-देन में अंगूठों का निशान बेकार सिद्ध होता। इन चिह्नों का अध्ययन कर विद्वान लोगों ने इन्हें भविष्य... और पढ़ेंहस्तरेखा शास्रग्रह पर्वत व रेखाएंजुलाई 2014व्यूस: 19966
विद्या प्राप्ति में बाधा कारण और निवारण अशोक शर्माविद्या को धन कहा गया है। मानव जीवन के विकास में शिक्षा की भूमिका अहम होती है। इसके बिना मनुष्य का जीवन पशुवत होता है।... और पढ़ेंदेवी और देवउपायशिक्षाघरग्रहफ़रवरी 2010व्यूस: 3824
दीपावली पर तंत्र एवं तांत्रिक वस्तुओं का महत्व वी.के. शर्मादीपावली की विशेष रात्रि को तांत्रिक विधि द्वारा सिद्धि प्राप्त करने की विशेष परंपरा रही है। यदि दीपावली पर आप भी कोई तांत्रिक अनुष्ठान करना चाहते हैं तो इस आलेख में दी गई जानकारियां आपके लिए बहुमूल्य हैं।... और पढ़ेंदेवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिवशीकरणपर्व/व्रतविविधनवेम्बर 2010व्यूस: 6998